बहलाने की.....
जिंदगी के पहलुओं से निगाहे लङाते शाम हो गई
बैठा गुमसुम, खोया स्वविचारों में
अतीत के पन्ने पलटते शाम हो गई ।
अब जलते चिरगों का ही सहारा पा रहा हूँ
पर डर भी है,मिले न वो,यूँ अंत...
बैठा गुमसुम, खोया स्वविचारों में
अतीत के पन्ने पलटते शाम हो गई ।
अब जलते चिरगों का ही सहारा पा रहा हूँ
पर डर भी है,मिले न वो,यूँ अंत...