...

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रख हौसला ...
तू क्यों बिखरा हुआ है
निराशा से तेरा दामन क्यों गिला है
क्या तुझको मालूम नहीं की
तेरी मंजिल कहां है
जो मायूसी से तू भरा पड़ा है
किसी ने कह दिया रस्ता आसान नहीं
जान ये तू पीछे क्यों भाग रहा है
तुझमें सब्र नहीं या ख़ुद पे यकीं नहीं

क्या कहां सभी खफा है
बार बार कोशिश करने पर भी
तुझको तेरा मकाम नहीं मिला है
सुन्न कहने दे जिसे जो कहना है
सोच लेने दे जिसे जो सोचना है
तू खुद में समेट ले ये हौसला सारा
चलते जाना है तुझको
मेहनत के रस्ते यहां
थकते रुकते गिरते संभलते रहना
मगर हार मत मानना

क्या बहुत भीड़ भाड़ है
देख भीड़ में तू भीड़ है
दुनियां की यही रीत है
जिसने हिस्सा आज में लिया है
कल को उसने अपनी पहचान बदला है
कदम जो तूने पीछे लिए अब
इस भीड़ में खुद को खो जाएगा
अगर ये रास्ता तूने तय कर लिया न
कल को तू एक मिसाल कायम कर
खुद हौसले की नीव बन जाएगा

क्या हुआ एक दो या चार बारी में सफल न हुआ
चल तू आगे बढ़ते रह
कोशिश करते रह
जबतक तेरी मंजिल तुझको न मिल जाए
किसी की बातों या तानों में
कहीं गुम न हो जाना
निष्ठा तेरी अपनी मंजिल के लिए पक्की है
तो तू कभी हार मानना नहीं
और तू कर सकता है यकीनन
इतना रख हौसला खुद पर
© ehsaas__e__jazbaat