...

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मैं तुम्हारा रहूँगा ।
सब कुछ खत्म हो गया था, घर की दीवारों से तस्वीरें हटा कर सन्दूकों में रख दी गई थी, खतों को किनारों से जला दिया गया था, हर एक उपहार को, गुस्से की भेंट चढ़ा दिया गया था, पर कुछ ऐसा बाकी रह गया जिसे ना हटाया जा सकता था, न जलाया जा सकता था, और ना ही तोड़ा या फेंका जा सकता था, वो थी तुम्हारी यादें, मैं कैसा भी रहूं, कुछ भी कहूँ, दुनिया में सब बदल ही क्यों ना जाए,पर मैं हमेशा तुम्हारा रहूँगा, जैसे आज तुम्हारा हूँ ।
© अल्फ़ाज़ ही आवाज़ है (Raj)