रुसवाईयाँ .....
क्यों दोस्ती मेरी बदनाम हुई
क्यों रुसवा मैं सरेआम हुई
क्यों इल्जाम मेरे सिर लगा
क्यों तन्हा मैं आज शाम हुई !
खुशियों से तेरा दामन भर दूँ
बस इतना ही तो चाहा था मैंने
दोस्त बनकर आई थी मैं तो
दोस्ती को रब माना था मैनें !
कब तुझको...
क्यों रुसवा मैं सरेआम हुई
क्यों इल्जाम मेरे सिर लगा
क्यों तन्हा मैं आज शाम हुई !
खुशियों से तेरा दामन भर दूँ
बस इतना ही तो चाहा था मैंने
दोस्त बनकर आई थी मैं तो
दोस्ती को रब माना था मैनें !
कब तुझको...