...

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तुम ही तुम हो अब हर जगह...
प्रेम ही प्रेम है अब हर जगह...

चांद देखूं या तुम्हे, हसीन ख़्वाब देखूं या तुम्हारी आंखें।।

बस तुम ही तुम हो अब हर जगह...

मुझमें मुझ से ज्यादा अब बसी तुम हो, मेरी सुबह का पहला और शाम का आखरी खयाल तुम हो।

हा, जो बेवजह मुस्कुराता हूं मैं तन्हाइयो में, उन तन्हाइयों में मेरा साथ भी तुम हो।।

बस तुम ही तुम हर जगह..!!!

© शून्य (bhattsameer)

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