...

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जिंदगी और मौत
जिंदगी! दबे पांव
अपना सफर तय करती रही,
ना परवाह थी उसे किसी के साथ की,
ना ही अकेले चलने की,
बस अनवरत अपना सफर तय करती रही,
आते रहे पड़ाव कभी सुख के ,
कभी दुख के,
जिंदगी कभी हंसती कभी रोती रही,.....
बस अनवरत अपना सफर तय करती...