**** इश्क़ का सुरूर ****
ना बंदूक से ,न तीर से , और न ही तलवार से,
ये दिल ज़ख़्मी है ,किसी की नज़र के वार से,
बिना पँखो के ही ख़्वाब ,फ़लक़ तक जा पहुँचे,
जो इश्क़ के मारे हैं , वो और कहाँ तक पहुँचे,
तेरे इश्क़ का...
ये दिल ज़ख़्मी है ,किसी की नज़र के वार से,
बिना पँखो के ही ख़्वाब ,फ़लक़ तक जा पहुँचे,
जो इश्क़ के मारे हैं , वो और कहाँ तक पहुँचे,
तेरे इश्क़ का...