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हर श्वास परमात्मा का अटूट प्रेम है।
जब हमारा रुमाल नीचे गिर जाता है, तो हम उस व्यक्ति को Thank you कहते हैं- धन्यवाद देते हैं उसे उस छोटे से काम के लिए, जो उसने हमारे लिए किया है। लेकिन उस परम तत्त्व, उस दया के सिंधू, उस परमात्मा की ओर तो हम मुँह फेरे बैठें हैं, उसकी धन्यता तो हमने कभी प्रकट ही नहीं की, जो हमें हर क्षण साँस दे रहा है, जिसकी कृपा से ये चाँद- तारे चल रहें हैं, जिसके...