ऐसा कभी हुआ है ।
ऐसा कभी हुआ है ,
बंद आंखों के पीछे कभी चाँद पर फूल खिला है।
हाथ थाम कर सपनों का,
सच के पीछे मीठा एहसास मिला है।
बीत गई उम्र तन की,
पर उम्मीद को रोज नया एक रूख़ मिला है।
जाने दो...
बंद आंखों के पीछे कभी चाँद पर फूल खिला है।
हाथ थाम कर सपनों का,
सच के पीछे मीठा एहसास मिला है।
बीत गई उम्र तन की,
पर उम्मीद को रोज नया एक रूख़ मिला है।
जाने दो...