...

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कौन जाने
कौन जाने
मन के भाव को,
कौन भरे,
दिल के घाव को,
आसाँ नहीं
यहां कुछ भी,
हैरत होती
नहीं कुछ भी,
दुनिया का
जब दस्तूर यही,
हमको भी
फिर कुबूल सही,
कौन सुने,
अनसुनी आह को,
कौन जाने
मन के भाव को.

© aj_potter100