प्रेम क्या है
प्रेम क्या है
कह दू अगर
तो तुम निर्लज समझोगे
तुम्हारी नज़र से प्रेम
आलिंगन के बहाने है
मेरी जुल्फों से कभी
कभी मेरे मन से खेलने के
बहाने है
मेरी नज़र से प्रेम
की परिभाषा कुछ
यु अलग सा है
तू दूर...
कह दू अगर
तो तुम निर्लज समझोगे
तुम्हारी नज़र से प्रेम
आलिंगन के बहाने है
मेरी जुल्फों से कभी
कभी मेरे मन से खेलने के
बहाने है
मेरी नज़र से प्रेम
की परिभाषा कुछ
यु अलग सा है
तू दूर...