...

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अदृश्य वो चिता...
जलते है सब यहाँ ...
छोटी सी चिंगारी
दहक रही है !
दिखती नही
लपटें उनकी,
राख़ सभी हो रहें है!
चुनते है ख़्वाबों की लाशें,
हसरतें भी झुलस गयी है!
अनिमित है आकाँक्षा...
मरती साँसों में साँसें ले रही है !
जलते है सब यहाँ
उस अदृश्य चिता पर ....