...

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तेरी यादों का साथ
तेरी यादों का साथ भी मेरे लिए काफी है,
अपनी सारी उम्र गुज़ार देने के लिए।

इस कदर डूबे तेरी यादों में हम कि,
फुर्सत नहीं हमें अब साँस लेने के लिए।

नहीं तुझसे कोई शिकवा शिकायत,
नहीं कोई चाहत अब तुझे पाने के लिए।

की सिरहाने रख लिया हूँ सिलवाके कफ़न,
ज़हमत नहीं दूँगी दर्जी के पास जाने के लिए।

कर दिया हूँ ताकीद अपने ख़ुदा को ,
बुलाना नहीं पड़ेगा किसी को मेरे ज़नाजे के लिए।