...

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तुझसे मिलन का इंतेजार मुझे भी है..
तेरी चाहत का इंतजार मुझे भी है
तू दूर है तब भी तुझसे प्यार मुझे बेशुमार है...

चाहत जिस्म का ना है मुझे
पर गले लग तुझ पर लूट जाने का इंतेजार मुझे भी है...

इश्क़ नाम दे इबाबत कर लूं तेरी
हां हां तुझसे मिलन का इंतेजार मुझे भी है..

बैठ सम्मुख तेरे तुझे निहारने को सिर्फ़ जी चाहता है
तू इबादत है तुझ से मिल प्रेम की इबारत लिखने की सिर्फ मेरी चाहत है...
© दी कु पा