आज वो मर ही गई
आज ,वो मर ही गई
माहौल कुछ गमगीन सा था
थी खड़ी मैं भी वहीं पर
बुढ़ापे और अकेलेपन से
आज छूट ही गई
आज, वो मर ही गई......
कुछ उस पर ....
अब अपना हक जमा रहे थे,
दिखाने को,
घड़ियाली आंसू बहा रहे थे ,
पर मन में खुशियों के दिए जला रहे थे ,
आज वो मर ही गई.....
आंखों में एक सूनापन लिए,
हर पल तरसती थी....
किसी के साथ को
कहने को...
माहौल कुछ गमगीन सा था
थी खड़ी मैं भी वहीं पर
बुढ़ापे और अकेलेपन से
आज छूट ही गई
आज, वो मर ही गई......
कुछ उस पर ....
अब अपना हक जमा रहे थे,
दिखाने को,
घड़ियाली आंसू बहा रहे थे ,
पर मन में खुशियों के दिए जला रहे थे ,
आज वो मर ही गई.....
आंखों में एक सूनापन लिए,
हर पल तरसती थी....
किसी के साथ को
कहने को...