---:"कर्मवीर":---
उठ बैठो हे कर्मवीर, नींद छोड़ अब जागो तुम
कर्त्तव्यविमुख और लक्ष्य छोड़ , ऐसे ही मत भागो तुम!
संघर्ष-ए-मैदान में , चुनौती हर स्वीकार करो
लाख मुसीबत आए फिर भी , अपने पथ पर अडिग रहो!
ऐसा गर कर सकते हो तो , कर्मवीर कहलाओगे
दुनिया कदम को चूमेंगी और मनचाहा फल पाओगे!
असफलता गर मिलती है तो , इससे भी कुछ सीखो तुम
दर्द-ए-मंजर मिले कभी तो , मुख से कभी ना चीखों तुम!
दुनियावाले सुनकर भी , तेरी हँसी उड़ाएंगे
दुःख तो कभी ना बांटेंगे और मनोबल को...
कर्त्तव्यविमुख और लक्ष्य छोड़ , ऐसे ही मत भागो तुम!
संघर्ष-ए-मैदान में , चुनौती हर स्वीकार करो
लाख मुसीबत आए फिर भी , अपने पथ पर अडिग रहो!
ऐसा गर कर सकते हो तो , कर्मवीर कहलाओगे
दुनिया कदम को चूमेंगी और मनचाहा फल पाओगे!
असफलता गर मिलती है तो , इससे भी कुछ सीखो तुम
दर्द-ए-मंजर मिले कभी तो , मुख से कभी ना चीखों तुम!
दुनियावाले सुनकर भी , तेरी हँसी उड़ाएंगे
दुःख तो कभी ना बांटेंगे और मनोबल को...