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प्रायश्चित
#जाने-दो..!
जाने दो जो चला गया,
मृगछालों से जो ठगा गया।
बेवक्त जो वक्ता बना गया,
मन भावों से सबको सना गया
अंतस में गहराई थी
जाने क्यों बाहर आई थी
बाहर आकर उसने तो
हलचल भी कुछ तो मचाई थी
ये कम्पन पुनः प्रविस्ट हुआ
और फिर न कभी बाहर निकला
जाने कितना आवेश प्रवाहित
खुद ज्वालामुखी को जला गया
जाने दो जो चला गया
जाने दो जो चला गया,
मृगछालों से जो ठगा गया।
बेवक्त जो वक्ता बना गया,
मन भावों से सबको सना गया
अंतस में गहराई थी
जाने क्यों बाहर आई थी
बाहर आकर उसने तो
हलचल भी कुछ तो मचाई थी
ये कम्पन पुनः प्रविस्ट हुआ
और फिर न कभी बाहर निकला
जाने कितना आवेश प्रवाहित
खुद ज्वालामुखी को जला गया
जाने दो जो चला गया
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