...

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न है मुझ पर कुछ खोने को!
अब डर नहीं किसी को खोने का
ना पास किसी के होने का
क्योंकि जज़्बात अब बचे नहीं
और मोहबब्त किसी से है नहीं।

देख चुके हैं ये सारे रंग प्यार के
किसी के साथ की तकरार के
कुछ है नहीं कहने को
न है मुझ पर कुछ खोने को।

अभी सोई थी बेफ़िक्री में अपनी
क्योंकि था नहीं किसी की यादों में खोने को
नींद इतनी अच्छी आई कि
अब दिल है हमेशा ऐसी खुद की
मोहबब्त में सोने को।

प्यार अब बचा नहीं
न है मुझ पर कुछ खोने को।
© Neha Bharti