ग़ज़ल
कर लेगा तेरी रूह से भी प्यार कोई और
मिल जाएगा मुझे भी तो ग़म-ख़्वार कोई और
वो और है जो रखता है ख़ंजर की नौक पर
करता है मेरे खूँ को चमकदार कोई और
अब तक तुम्हारें साथ शनासा था जाने कौन
रहता है मेरे जिस्म में...
मिल जाएगा मुझे भी तो ग़म-ख़्वार कोई और
वो और है जो रखता है ख़ंजर की नौक पर
करता है मेरे खूँ को चमकदार कोई और
अब तक तुम्हारें साथ शनासा था जाने कौन
रहता है मेरे जिस्म में...