...

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खुला आसमान
चलो खुले आसमान में उड़ती हूँ!
हाँ हाँ वही आसमान जहां कभी मैं आजाद थी।

एक बार फिर दिल की सुनती हूँ ;
लोगों की परवाह किए बिना।

क्या कहेंगे क्या सोचेंगे लोग इससे बहुत दूर ,
अपनी एक दुनिया सबसे अलग बसाती हूँ।

फिजूल का वक़्त ज़ाया किए बिना ,
एक बार फिर अपनी सोचती हूँ ,

अपनी दुनिया में कुछ इस तरह मशगूल होजाऊँ ;
कि सिर्फ अपनी बुराई और अपनी अच्छाई से ताल्लुक़ रखूँ ।

चलो एक बार फिर खुले आसमान में उड़ती हूँ!
हाँ हाँ बिल्कुल किसी परिंदे की भाँति।
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