दूर
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
नगर में मृदंग बजा मोह रहा कोई
अधूरे आशियाने के छाव तले सो रहा कोई
धरती के...
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
नगर में मृदंग बजा मोह रहा कोई
अधूरे आशियाने के छाव तले सो रहा कोई
धरती के...