#अपराध
#अपराध
मन मौन व्रत कर अपराध करता ।
किस भांति देखो आघात करता ।
व्यंग पर गंभीरता का प्रहार करता
अपराध कर अपने मन को कचोटता ।
मारा मारा अपराध का बोझ लिए
फिर वो फिरता।
अपने मन ही मन में वो डरता रहता।
नहीं किसी से फिर वह कुछ...
मन मौन व्रत कर अपराध करता ।
किस भांति देखो आघात करता ।
व्यंग पर गंभीरता का प्रहार करता
अपराध कर अपने मन को कचोटता ।
मारा मारा अपराध का बोझ लिए
फिर वो फिरता।
अपने मन ही मन में वो डरता रहता।
नहीं किसी से फिर वह कुछ...