...

3 views

कलि
नाम कलि है, महाबली हूं, हर मनुष्य में छाया हूं
होगे तुम अवतार विष्णु का, पर मैं तो बिन काया हूं
हर घर का संचालक मैं हूं, हिंसा का परिचालक मैं हूं
उठती लपटों को देखो तुम, कितना वीर भयावक मैं हूं
मन में मैं हूं, तन में मैं हूं, जीवन के हर क्षण में मैं हूं
केशव तुम होगे द्वापर में, आज धरा के कण में मैं हूं
आस में मैं हूं, प्यास में मैं हूं, श्रद्धा में, विश्वास में मैं हूं
मंदिर के चौखट के बाहर, भक्तों की अरदास में मैं हूं
रावण, कंस, बालि के जैसे, मार नहीं सकते मुझको
वामन, नरसिंह रूप में आकर, तार नहीं सकते मुझको
अजर अमर...