एहसास ए इश्क..
आज फिर किसी चाहत ने,
दिल का दरवाजा खटखटाया है,,
दफ़न थी जो बात जिगर में,
वो जुबां पर आया है।।
तमन्ना ए इश्क में हम कबसे खामोश थे,
जुस्तजू ए फिजा में जब से मदहोश थे।।
बेताब दिल किस कदर हुआ जा रहा है,
खयालों में डूबा किसके,
फिकर हर दुआ में करता जा रहा है।
देखी न कभी ऐसी खुमारी मैंने,
बन मरहम मेरे जख्मों को सहला रहा है।।
क्या बात करूं क्या ना करूं?,
बड़ी उलझन सी नजर आ रही है।
कदम दर कदम,
अफवाहों की अड़चन सी खबर आ रही है।।
आइने में खुद को जब भी देखता हूं,
कुछ बदला बदला सा लगता हूं।
निगाहों में बसी बस एक,
तस्वीर लिए फिरता हूं।।
बन तूफान जुनूं ए इश्क का,
फिर से सर चढ़ आया है,,
आज फिर किसी चाहत ने,
दिल का दरवाजा खटखटाया है।।
written by (संतोष वर्मा)
आजमगढ़ वाले..खुद की ज़ुबानी
दिल का दरवाजा खटखटाया है,,
दफ़न थी जो बात जिगर में,
वो जुबां पर आया है।।
तमन्ना ए इश्क में हम कबसे खामोश थे,
जुस्तजू ए फिजा में जब से मदहोश थे।।
बेताब दिल किस कदर हुआ जा रहा है,
खयालों में डूबा किसके,
फिकर हर दुआ में करता जा रहा है।
देखी न कभी ऐसी खुमारी मैंने,
बन मरहम मेरे जख्मों को सहला रहा है।।
क्या बात करूं क्या ना करूं?,
बड़ी उलझन सी नजर आ रही है।
कदम दर कदम,
अफवाहों की अड़चन सी खबर आ रही है।।
आइने में खुद को जब भी देखता हूं,
कुछ बदला बदला सा लगता हूं।
निगाहों में बसी बस एक,
तस्वीर लिए फिरता हूं।।
बन तूफान जुनूं ए इश्क का,
फिर से सर चढ़ आया है,,
आज फिर किसी चाहत ने,
दिल का दरवाजा खटखटाया है।।
written by (संतोष वर्मा)
आजमगढ़ वाले..खुद की ज़ुबानी
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