हम फ़िर से मुस्कुराने लगे
ज़िंदगी से ज़्यादा कुछ नहीं चाहा था हमने
सिर्फ़ एक प्यार भरे जीवन के देखते थे हम सपना
ऐसा जीवन जिसमें सब अपने रहते हों साथ
समझे सब बिना स्वार्थ के इक दूजे के जज़्बात
एक शांति से भरपूर ज़िंदगी के सिवा कुछ ना चाहा हमने
वो ही ना मिला हमको, टूट गए सारे सपने
समझ ना सके हम कि हमारा था क्या कसूर
ऐसी दर्द भरी ज़िंदगी जीने के लिए हम क्यूँ हुए मजबूर...
सिर्फ़ एक प्यार भरे जीवन के देखते थे हम सपना
ऐसा जीवन जिसमें सब अपने रहते हों साथ
समझे सब बिना स्वार्थ के इक दूजे के जज़्बात
एक शांति से भरपूर ज़िंदगी के सिवा कुछ ना चाहा हमने
वो ही ना मिला हमको, टूट गए सारे सपने
समझ ना सके हम कि हमारा था क्या कसूर
ऐसी दर्द भरी ज़िंदगी जीने के लिए हम क्यूँ हुए मजबूर...