...

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कभी ऐसी कोई शाम हो
कभी ऐसी कोई शाम हो,
चलें जब हम दरियां किनारे,
मेरे हाथ ने थामा तेरा हाथ हो,
मेरे क़दमों से मिलते तेरे क़दम हो,

न होश हो ज़माने का कुछ,
न परवाह हो वक़्त की कुछ,
मौसम पे चढ़ा हो परवान पूरा,
फूलों से महक रहा हो समा सारा,

कभी ऐसी कोई शाम हो,
दिल में रहें न कोई अरमां हो,
इज़हार ए ज़ज़्बात दो तरफ़ा हो,
ठहर जाए वक़्त भी ऐसा कमाल हो,

© feelmyrhymes {@S}