...

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tumhare liye...
जीरहा हूँ  जहाँ  में  तुम्हारे लिए ,

हर सितम सह रहां हूँ तुम्हारे लिए ,

भूल कर भी कभी तुम न देना दगा ,

मर न जाऊं  कहीं मै तुम्हारे लिए। 








वक़्त रुकता नहीं है किसी के लिए,


आगे बढ़ता ही जाता सदा के लिए। 


कभी खुद को अकेला समझना नहीं ,


मेरा दिल है सदा बस तुम्हारे लिए। 






राह मुश्किल मुसीबत का अम्बार हो ,


अपने सपनो से ही खुद की तकरार हो। 


हौंसला अब कि बस टूटने वाला हो ,


जब लगे कि खुदा रूठने वाला हो।




आगे बढ़ने की राहें जहां हों ख़तम,  


मुश्किलें देखकर डगमगाए कदम। 


जब लगे की नहीं है बचा कुछ यहां ,


खुद के दुश्मन सा लगने लगे ये जहाँ। 





आशा का छोटा दीपक जलाये हुए ,


हर सितम खुद के ऊपर उठाये हुए। 


शूल राहों के बिनता चलूँ हर कदम ,


अपना जीवन लुटा दूँ बस तुम्हारे लिए। 


                          -नवनीत कुमार मिश्रा 

© Navneet Kumar mishra