...

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स्त्री



चाहतें मेरी कुछ अधूरी भी हैं
तो क्या हुआ ?
दिल की बातें मेरी कुछ अनकही भी हैं
तो क्या हुआ ?
तो क्या हुआ अगर ये आंखें कुछ भीगी सी हैं ......
दिल की हसरतें कुछ अधूरी सी हैं....
मै तो दूसरों के सपने संजोया करती हूं
अपनी खुशियों से समझौता कर
सबके  होठों पर मुस्कान पिरोया करती हूं।
मै एक स्त्री हूं,
और मै अपनी हि ज़िन्दगी दूसरों की शर्तों पर जिया करती हूं।।

ये मत करना वो मत करना
रात के आठ बज चुके हैं घर के बाहर मत निकलना......
हजारों ताने सुनती हूं,
फिर भी चुप रहती हूं!
कई दफा नाइंसाफियों को भी बिन कुछ कहे सहती हूं.....
आखिर मै ऐसा क्यों करती हूं?
क्या ये मेरी कमजोरी है या ये...