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इंतेजार में रहती हूं
बहुत दिन हो गए
वो मिलने हमसे आए नहीं
लगता हैं प्यास उसका बुझ गए
अब मेरी उनको जरूरत रहा नहीं
फिर भी यकीन हैं हमें
कभी फुर्सत में उन्हें हम याद आते नहीं
ऐसा तो कभी होगा नहीं
जानती नहीं मैं वो आयेंगे नहीं कभी ऐसा बात भी तो नहीं तो
नदियों की तरह बहते हुए आयेंगे वो एक दिन
दिल में कुछ पाने की चाहत लेकर
कितना अजीब हैं उसको खबर हैं नहीं
उसके बिना कोई मेरा सहारा हैं नहीं
उसकी हिज्र में रात भर जागते हैं हम
और आता हैं वो किसी मौसम की तरहा
सालों में एक बार फागुन की तरहा
और मैं हर दिन इंतेजार मे रहती हूं
उस सूखे पेड़ की तरहा ,,,
© All Rights Reserved
वो मिलने हमसे आए नहीं
लगता हैं प्यास उसका बुझ गए
अब मेरी उनको जरूरत रहा नहीं
फिर भी यकीन हैं हमें
कभी फुर्सत में उन्हें हम याद आते नहीं
ऐसा तो कभी होगा नहीं
जानती नहीं मैं वो आयेंगे नहीं कभी ऐसा बात भी तो नहीं तो
नदियों की तरह बहते हुए आयेंगे वो एक दिन
दिल में कुछ पाने की चाहत लेकर
कितना अजीब हैं उसको खबर हैं नहीं
उसके बिना कोई मेरा सहारा हैं नहीं
उसकी हिज्र में रात भर जागते हैं हम
और आता हैं वो किसी मौसम की तरहा
सालों में एक बार फागुन की तरहा
और मैं हर दिन इंतेजार मे रहती हूं
उस सूखे पेड़ की तरहा ,,,
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