आवाज़ें
तालाब का स्तर
थोड़ा और बढ़ गया
जब देखी तेरी परछायी
मेरा अश्क़ बह गया
ग़ुमसुम सा तू खड़े खड़े
लगा आवाज़ें दे गया
मैं पकड़ती रही तुझे आनन फ़ानन
तू हाथों से मेरे निकल गया
किससे कहूँ वो
क़िस्से मुलाक़ातों के
रक़ाबत ली जिसके लिये जँहा से
वही रक़ीब बन गया
थोड़ा और बढ़ गया
जब देखी तेरी परछायी
मेरा अश्क़ बह गया
ग़ुमसुम सा तू खड़े खड़े
लगा आवाज़ें दे गया
मैं पकड़ती रही तुझे आनन फ़ानन
तू हाथों से मेरे निकल गया
किससे कहूँ वो
क़िस्से मुलाक़ातों के
रक़ाबत ली जिसके लिये जँहा से
वही रक़ीब बन गया