...

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जीवन के नए पहलू
बचपन बीतने के बाद
जीवन के नए पहलुओं से मुलाकात हुई।

जहाँ अब तक न थी कोई बात,
वहाँ भी नई-नई बात हुई |
जो दिल अब-तक था मासूमियत से भरा हुआ,
उसपर मानो विशैले बाड़ों की बरसात हुई।

मतलब की भरी इस दुनिया में फिर रहा हूँ
बेगानों सा,
हर इलाका लगता है बेइमानी के ठिकानों सा,

रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचारी ही छाए हैं हर ओर ,
कानों में गूंजता रहता है नकारात्मकता का शोर ,
मन में भरी शंकाओं से टूट जाती हैं रिशतों की डोर।

इस अंधकारमई जीवन में कब होगा उजियाला,
कब चलेंगे सभी एक साथ सही राह पर
भुला के सारे बैर,
कब ये समझेंगे कि इस दुनिया में सभी हैं अपने
नहीं है कोई गैर ।।


© VSAK47