मैं तृष्णा वो तृप्ति है....
मैं तृष्णा वो तृप्ति है,जीवन की मेरे वो ही तो संतृप्ति है,
धारा है अविरल जलधार की जो अमृत बन बरसती है।
जीवन यात्रा की वो राह,बुझे नयनों की वो ज्योति है,
जीवन के...
धारा है अविरल जलधार की जो अमृत बन बरसती है।
जीवन यात्रा की वो राह,बुझे नयनों की वो ज्योति है,
जीवन के...