...

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मैंने आपको पहचाना नहीं...

आज कई अरसे बाद फिर से तुझसे
उसी दरगाह पर मिलना हुआ।
तेरा वैसे ही बेखुदी में पहले की तरह
टकराना और मेरा संभलना हुआ।

मैंने देखा गौर से अब भी तेरी गहरी
सुरमई आंखों में कोई राज़ है।
मेरी मौजूदगी को नज़रअंदाज़ करना
शायद तेरा पुराना अंदाज़ है।

यकीन था तू हाल पूछेगी क्योंकि जो तेरा
कल था वो अब भी मेरा आज है।
तेरे ना पूछने से मैं बीमार तो नहीं पर ये
कम्बख़त ज़िन्दगी बड़ी नासाज़ है।

सोचा क्यों ना तेरा ही हाल पूछ लूं, मैं तेरे
लिए कोई अनजाना तो नहीं।
तभी तू पलटी और तूने कहा,'माफ कीजिएगा मैंने आपको पहचाना नहीं।'

by Santoshi