...

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कड़वा सच
सच्चाई व ईमानदारी पछाड़ी जा रही हर कहीं,
उम्दा सोच से लगता है अब सब मुमकिन नहीं,
अब तो रफ्ता रफ्ता तजुर्बा यारो होता आ रहा,
पल सुहाना इक इक है पल पल खोता जा रहा।
अभी उम्मीद का दामन फिर भी नहीं छूटता,
मन में है जो विश्वास इतनी जल्दी नहीं टूटता।
पीछे नहीं हटना अब शिकस्त के डर से,
रहेंगे अडिग देखना आखिर तक शिद्दत से।

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