...

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एक रूप जिंदगी के ।
जेसे रुक सी गयीं यह जिंदगी-
बंदगी तेरे वास्ते जो हैं वफा ।

रूप नया - लाजवाब हैं यह राह ,
कहीं कथित- तो कहीं लिखित:
पक्ष वह - पक्षपाती सी लगतीं यह राह-
क्या कहें किस राह पर हाम चलें ,
मंज़िल व्यस्त से प्रतीत होती हैं।
प्रतीत होती हैं कि-
राह को कुछ और ही मंजूर हैं ।

धुँधला सा लगता हैं यह जिंदगी-
रोशनी की ख्वाब में रुके हुए हैं ।


© _silent_vocal_