...

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क्यूंकि लड़की थी मैं
हारी नही हूँ मैं... बस मेरी रूह ने दम तोड़ दिया है
भरोसा था जिनपर ,आज उन अपनो ने मुझसे मुँह मोड़ लिया है
कुसूर क्या था मेरा ,पूछती हूँ उनसे
जन्म से ही कोमल थी,थे आँखों मे सपने
पर आंखे नही मूंदी मैने
बस अब उम्मीद खो दी है...
प्यार तो मैं भी करती थी, जान था कोई मेरा
पर ये जहान छोड़ कर चली जा, आज उसी जान ने कह दिया है
साथ जन्मों तक का वादा करना था जिसे आज उसने बीच मजधार में ही अकेला कर दिया है
शादी थी मेरी कल, सजाए बड़े अरमान थे
मेहंदी लगाई थी ,खुले मेरे बाल थे
नाखूनों का शौख था ,रंगे मैंने हाथ थे
बस रात का अंधेरा था ...और लड़की होना...