हे कान्हा, आपकी बांसुरी की धुन...!!!
हे कान्हा, आपकी बांसुरी की धुन,
मेरे मन को मोह गई पलभर में, अनुनादित गुन।
उस राग में छुपी मधुरता की बात,
जैसे चाँदनी रात में गूंजे प्रेम की सौगात।।१।।
हर स्वर में बसा अनन्त प्रेम का एहसास,
राधा के संग बंधा आपका अटूट विश्वास।
वो धुन जगाती है मन में नई आस,
हर तान में...
मेरे मन को मोह गई पलभर में, अनुनादित गुन।
उस राग में छुपी मधुरता की बात,
जैसे चाँदनी रात में गूंजे प्रेम की सौगात।।१।।
हर स्वर में बसा अनन्त प्रेम का एहसास,
राधा के संग बंधा आपका अटूट विश्वास।
वो धुन जगाती है मन में नई आस,
हर तान में...