...

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तुम ना समझ सको शायद!
बड़ा नाज़ुक सा रिश्ता है, तुम ना समझ सको शायद!
वो शख्स! लगता मुझे फरिश्ता है, तुम ना समझ सको शायद!

बड़ा मासूम दिखता है बड़ी शोखी झलकती है,
अगर वो साथ में हो तो हर शय अच्छी लगती है!

वो मेरे सामने होकर भी कोसों दूर होता है,
ऐंसा कैंसे होता है? तुम न समझ सको शायद!

मेखाने हज़ारों हैं हज़ारों उनमें साक़ी हैं,
हमें सेराब करने को सिर्फ उनकी आँखें काफी हैं!

ये दीवाना है कहने दो अपने शहर में रहने दो,
तबीबों का ये नुस्खा है तुम ना समझ सको शायद!

बड़ा नाज़ुक सा रिश्ता है, तुम ना समझ सको शायद!
वो शख्स! लगता मुझे फरिश्ता है, तुम ना समझ सको शायद!
© alfaaz-e-aas