...

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ग़ज़ल
कुछ अलग हो जो,फ़न कहानी में
डूब जाता है मन कहानी में

पूस की रात,चीफ़ की दावत
और डूबा कफ़न कहानी में

बे-रुख़ी,बे-बसी भरी है जनाब
पढ़ना सेवा-सदन कहानी में

जब पढ़ी मैंने काबुली वाला
तो मिला अपना-पन कहानी में

अक्लमंदी दिखाई है आख़िर
जालपा ने ग़बन कहानी में

-मनीष कुमार
वज़्न-S।SS ।S। SSS

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