एक नई सुबह
सोचती हु न जाने कब आएगी वो सुबह नई
लगता है वो मिलो दूर छुपी कही
हर रात इसी उम्मीद में सोती की अगली सुबह कुछ नए रंग लाएगी
सोचती की कल सूरज की वो पहेली किरण जब मुंह पे पड़ेगी तो मुरझाई सी...
लगता है वो मिलो दूर छुपी कही
हर रात इसी उम्मीद में सोती की अगली सुबह कुछ नए रंग लाएगी
सोचती की कल सूरज की वो पहेली किरण जब मुंह पे पड़ेगी तो मुरझाई सी...