...

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" आखिरी आरज़ू "
हर सांस में बसा है कोई
धड़कन है मेरी खोई खोई
रहता है कोई यादों में
पहरा है मेरी आंखों में
खोया खोया रहता हूं
अब किसी की मुहब्बत में
पता बता दें मेरे महबूब का
ऐ हवा जाके तू उनको बता
मेरे हाल ए बेबसी उनको सुना
नींद भी अब नहीं आती है
ऐसा लगता है जैसे रातें मुझे सताती हैं
यादें उसकी मेरी आंखों से ओझल नहीं होती हैं
महफिलें सज़ी हैं मेरे ज़नाजे में
रुखसत हुई अब मेरी जां
जा रहा हूं तेरी यादें छोड़कर
जिंदगी के फसाने तोड़कर
मिले तुझे हर खुशियां
रब से यही आरज़ू है मेरी।

Gautam Hritu





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