दिलों की धड़कन ~~
गुलाब के पंखुड़ियों समान हो तुम,
जो सुख कर भी खोए लम्हों की याद दिलाता है।
रुई सा कोमल स्पर्श है तुम्हारा,
जो चुभ कर भी ना चुभ जाता है।
बंदूक की गोली स दिमाग है तुम्हारा,
काफी तेज़ और चंचल स्वभाव का।
क्या तुम भी उन पंखुड़ियों सा,
कभी सुख जाओगे¿
क्या तुम कभी...