...

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दिलों की धड़कन ~~

गुलाब के पंखुड़ियों समान हो तुम,
जो सुख कर भी खोए लम्हों की याद दिलाता है।

रुई सा कोमल स्पर्श है तुम्हारा,
जो चुभ कर भी ना चुभ जाता है।

बंदूक की गोली स दिमाग है तुम्हारा,
काफी तेज़ और चंचल स्वभाव का।

क्या तुम भी उन पंखुड़ियों सा,
कभी सुख जाओगे¿

क्या तुम कभी अपनी वाणी से,
मुझे दुख तो नहीं पहुंचाओगे¿

क्या तुम उस तेज दिमाग से कभी,
मुझे निकाल तो नहीं पाओगे¿

भईभीत हो जाती हु सोच कर,
इन बे फिजूल बातों को।

मैं तुम्हे खोना नही चाहती,
सुनाना चाहती हू ये गाथा दुनियादारो को।

लब पे तुम्हारा नाम, और दिल में तुम्हारा चित्र है,
तुम ही बताओ ना तुम्हारे अलावा मेरा कोन मित्र है!

मेरे मित्र ही नहीं दुनिया हो तुम,
दुनिया ही नहीं मेरे दिलों की धड़कन हो तुम।


© @ishq_adhura