...

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ख्वाहिश


है कि ख्वाहिश अनेकों,
कुछ पुरी कुछ अधुरी ।
हैं तमन्ना ये कि सब हो जाए एक ,
करे ना किसी से नफरत ना हो एक दुसरे में भेद।।

बुरे लम्हे को बदलने कि ख्वाहिश,
हर लम्हे को जिंदादिली से जीने कि ख्वाहिश।
मुस्कुराने कि ख्वाहिश,
ज़िन्दगी में कुछ कर जाने कि ख्वाहिश ।
यादे बुरी जो सीने में है दबी उन्हें भूल जाने कि ख्वाहिश,
अपने मां बाप खुश देखने कि ख्वाहिश ।
बस इतनी सी है ख्वाहिश ।।

जो बुरा हुआ उस से सीखने कि ख्वाहिश
जो यार ना मिले उन से मिलने कि ख्वाहिश।
भूली बिसरी यादों के उन खुशनुमा लम्हों को
एक बार फिर जीने कि ख्वाहिश ,
जो ना मिला किसी को उस मुकाम पाने कि ख्वाहिश
आंसू जो ना निकले उन्हे निकाल दर्द से मुक्त होने कि ख्वाहिश।।

यादें याद रखने कि ख्वाहिश
आंसू गम के मिटा देने कि ख्वाहिश।
ख्वाहिश फिर से जीने कि ख्वाहिश,
ख्वाहिश बातें करने कि ख्वाहिश,
जिंदगी में कुछ करने कि ख्वाहिश।।

ख्वाहिश जो करते थे जीने की जवानी,
अब वो बचपन जीने को तरसते है।
कभी कभी आंखों से आंसू निकलते है उसके,
जिन्होंने की थी जवानी जीने की ख्वाहिश।।

ख्वाहिश की बोहोत है,
बस नसीब में ही थोड़ी खोट है।
कि है ख्वाहिश उनसे रात भर बातें करने की,
जिनसे बातें होती अब थोड़ा बोहोत है।।

ख्वाहिश एक ही सुनले मेरा रब,
मुझे ना हर एक ख्वाहिश पूरी होने की खोट है।
बस हो जाये वो एक ख्वाहिश पूरी जिसके लिए की,
ख्वाहिश की बोहोत है।।

बातें हो फिर से उनसे,
बातें करू बिन वजह के उनसे,
जिसके लिए ख्वाहिश की बोहोत है,
मेरे लिए इस जिंदगी में इतना बोहोत है।।

Special thanks to वर्तिका

बातें


© Devansh Baliyan