हूँ पथिक
हूँ पथिक मैं उन राहो का
जिन पर कंकड़ हैं बिछे हुए
पार करूँगा उसको भी मैं
अपनी उम्मीदों को साथ लिए हुए
कोई भी आये फिर इन राहो में
उन सबको मैं तोड़ दूंगा
मेहनत कर अपनी मंजिल को
अपनी ओर मोड़ लूंगा
हो कष्ट कितना भी इन राहो में
इन राहों को मैं नही छोडूंगा
है साहस मुझमे इतना कि
मैं अपनी मंजिल को प्राप्त कर लूंगा
© Bhanu
जिन पर कंकड़ हैं बिछे हुए
पार करूँगा उसको भी मैं
अपनी उम्मीदों को साथ लिए हुए
कोई भी आये फिर इन राहो में
उन सबको मैं तोड़ दूंगा
मेहनत कर अपनी मंजिल को
अपनी ओर मोड़ लूंगा
हो कष्ट कितना भी इन राहो में
इन राहों को मैं नही छोडूंगा
है साहस मुझमे इतना कि
मैं अपनी मंजिल को प्राप्त कर लूंगा
© Bhanu