...

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एकतरफा प्यार (भाग-3)
ना तेरी कमी बनना मंजूर है,
ना तेरी गमी हमें मंजूर है।
तू मुस्कुरा दे एक बार देखकर हमें,
वहीं जुम्मा दुआ - ए- कुबुल है।
नफा - नुकसान समझा नहीं,
कायल तेरे प्यार में इतना नजरें उठाकर आजतक देखा नहीं।
वो कहते हैं आशिक हैं तेरे-2,
जरा उनसे पूछो क्या गहरे हैं हमसे।
निगाहों का इश्क नहीं, इज्जत की इबादत की है।
उस खुदा से दुआओं में भी तेरी ही सलामती की हिदायत की है।।
ना तुझे हम रास आएंगे और ना हम तेरे हो पाएंगे,
फिर भी तुझे ही चाहेंगे।
क्योंकि आशिक एकतरफा बेवफा नहीं होते
और मुक्कमल हर महोब्बत के अफसाने नहीं होते।
खुदा ने जो सोचा है वहीं तो होता है,
उसके आगे कहां हमारा बस होता है।
जो होता तो आज हम तेरे होते,यूं ना तुम किसी और की बांहों में होते।।
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© jcreations