अधूरा मिलन
क्षितिज सा है मिलन हमारा,
देखने में लगता है प्यारा।
सुबह के रंग इसे रम्य बनाते,
कभी कभी अनबन बादल ग्रहण लगाते।
बादल हो कितने ही काले,
एक दिन बरस ही जाते हैं।
फिर प्रेम चरम पर जाता है,
क्षितिज लालिमा से भर जाता है,,
लोगों के मन को भाता है।
लेकिन सबकुछ अंत में,
मिथ्या ही तो रह जाता है।
© Joginder Thakur
देखने में लगता है प्यारा।
सुबह के रंग इसे रम्य बनाते,
कभी कभी अनबन बादल ग्रहण लगाते।
बादल हो कितने ही काले,
एक दिन बरस ही जाते हैं।
फिर प्रेम चरम पर जाता है,
क्षितिज लालिमा से भर जाता है,,
लोगों के मन को भाता है।
लेकिन सबकुछ अंत में,
मिथ्या ही तो रह जाता है।
© Joginder Thakur
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