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कुछ बातो की
कुछ बातो की है कहानी या क्षणों का है मिलन ।
ये विरह की पीड़ है ।
कैसे समझ पाओगे तुम ।
,,,
बह रही अविरल से गंगा होके सागर से अलग ।
मौन है पर मौन कृतियां
करती कोलाहल अधिक ।
कुछ बातो की है कहानी,,,
प्रेम में प्रेमी सागर और , प्रेमिका नदी होती और रूठने पर कैसे वो रहते है यही वर्णित है ।
© Sarthak writings
ये विरह की पीड़ है ।
कैसे समझ पाओगे तुम ।
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बह रही अविरल से गंगा होके सागर से अलग ।
मौन है पर मौन कृतियां
करती कोलाहल अधिक ।
कुछ बातो की है कहानी,,,
प्रेम में प्रेमी सागर और , प्रेमिका नदी होती और रूठने पर कैसे वो रहते है यही वर्णित है ।
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