कुछ बातो की
कुछ बातो की है कहानी या क्षणों का है मिलन ।
ये विरह की पीड़ है ।
कैसे समझ पाओगे तुम ।
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बह रही अविरल से गंगा होके...
ये विरह की पीड़ है ।
कैसे समझ पाओगे तुम ।
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बह रही अविरल से गंगा होके...