...

7 views

खंजर
उतनी उम्र नही जितनी बारीकी से
अपने हुनर को कागज पर उतार देता हूं
मेरे कत्ल की साजिश में वक्त जाया ना करो
तुम हां तो करो मैं खुद ही खुद को मार देता हूं

कभी तरस आया नूरानी चेहरे पर तो मिलूंगा तुमसे
मैं जो हूं कातिल को भी प्यार देता हूं
मेरे कत्ल की साजिश में वक्त जाया ना करो
तुम हां तो करो मैं खुद ही खुद को मार देता हूं

ये सवाल उठा रहे है लोग तुम गुनहगार हो मेरे
तुम्हे एतराज ना हो तो कर इंकार देता हूं
अभी भी वक्त है फेंक दो हाथ का खंजर
चलो कुछ और वक्त की मोहलत तुम्हे उधार देता हूं
मेरी मानो मेरी आंखों में देखकर हां बोल दो
तुम हां तो करो में खुद ही खुद को मार देता हूं


© शायर मिजाज