खंजर
उतनी उम्र नही जितनी बारीकी से
अपने हुनर को कागज पर उतार देता हूं
मेरे कत्ल की साजिश में वक्त जाया ना करो
तुम हां तो करो मैं खुद ही खुद को मार देता हूं
कभी तरस आया नूरानी चेहरे पर तो मिलूंगा तुमसे
मैं जो हूं कातिल को भी प्यार देता...
अपने हुनर को कागज पर उतार देता हूं
मेरे कत्ल की साजिश में वक्त जाया ना करो
तुम हां तो करो मैं खुद ही खुद को मार देता हूं
कभी तरस आया नूरानी चेहरे पर तो मिलूंगा तुमसे
मैं जो हूं कातिल को भी प्यार देता...