...

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किताबें


नयी हो या हो पुरानी,
कहते हैं हर किसी की सखी है,
मानो तो दोस्त नहीं तो दुश्मन,
ये तो सामने वाले की मरज़ी है
किताबें तो पढ़ने और जीने के लिए है,
किताबें कभी काफ़ी नहीं हो सकती,
हर दुनिया के रहस्यों और सच्चाई को,
जानने परखने के लिए है
नयी...