आम आदमी
सूर्य की किरणों के साथ
हर सुबह जगता है
आम आदमी
लेकर अपनी ज़िम्मेदारियों का बोझ
बस यूं घर से निकल पड़ता है
वो आम आदमी
धूप की तपन हो या बूंदों की चुभन
न जानें चुप चाप कैसे सह जाता है
वो खामोश आम आदमी
क्या फर्क पड़ता...
हर सुबह जगता है
आम आदमी
लेकर अपनी ज़िम्मेदारियों का बोझ
बस यूं घर से निकल पड़ता है
वो आम आदमी
धूप की तपन हो या बूंदों की चुभन
न जानें चुप चाप कैसे सह जाता है
वो खामोश आम आदमी
क्या फर्क पड़ता...